04 December 2009

आरजुओं का सारा जहां लुट गया

आज किसी दोस्त किसी बिछडे दोस्त को याद कर लिया जाये। ठंडी छांव की ही नही कभी-कभी कडी धूप भी जरूरी होती है। कभी-कभी उदास भी हो लिया जाये।
आज सुनिये एक दर्दीली आवाज में कव्वाली । उम्मीद है आपको यह कलाम पसन्द आयेगा।

इन हसीनों के चेहरे तो मासूम हैं
किसको कातिल कहूं, किसको इल्जाम दूं
किसने बिस्मिल किया किसने लूटा मुझे
क्या कहूं ऐ फना मैं कहां लुट गया



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1 comment:

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