17 January 2010

रलदू की ससुराल

एक बै रलदू चौधरी  अपनी बहू नै लेने ससुराल गया। राम-रमी अर नाश्ता-पानी कर कै रलदू ने अपनी सास को कहा - सासूजी मेरी बहू नै घाल (भेज) दो, मैं लेन आया सूं
उसकी सास ने कहा - बेटा, आज रुक जाओ, कल चले जाना
रलदू - ना जी, मैं तो आज ही ले कर जांऊगां
सासू ने उसे खूब समझाया, पर रलदू अपनी बात पर अडा रहा। रलदू की और सास की तू-तू मैं-मैं होने लगी। दोनों तेज-तेज आवाज मैं बोलने लगे। इतनी देर में रलदू की छोटी साली भी उस कमरे में आ गयी।
साली - जीजा, तन्नै शर्म आनी चाहिये, इतनी जोर-जोर से बोलते हुए, यो तेरा ससुराल सै
रलदू - या बात तू अपनी मां नै भी तो समझा सकै सै, के यो उसकी ससुराल कोन्या

चलो कहा-सुनी करकै रलदू रुकने के लिये राजी हो गया। दोपहर के खाने का वक्त हो गया था। खाने में पालक बनी थी। रलदू - सासू जी, मुझे पालक की सब्जी पसन्द नही है।
सासू - बेटा, पालक में आयरन होता है, आंखों के लिये और स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद है। पालक तो जरूर खानी चाहिये।
सांझ नै रोटी खाने बैठा तो देखा फेर पालक की सब्जी बना राख्खी सै
रलदू - इब फेर पालक की सब्जी, सासू जी दोपहर में भी तन्नै यही सब्जी बनाई थी। तब तो मैनें खा ली थी, कि चलो ससुराल में ज्यादा नखरे नहीं करने चाहिये।
सासू - बेटा, पालक की सब्जी तो भोत आच्छी हो सै, इसमें आयरन होवै सै, स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद है। पालक तो जरूर खानी चाहिये।

अगले दिन सुबह नहा-धो कर रलदू चलने के लिये तैयार हो गया।
तो सासू ने कहा- बेटा रोटी  बनगी सैं, खा-पी कै जाईये।
रलदू - इब फेर पालक की सब्जी
सासू - पालक की सब्जी तो भोत आच्छी हो सै, इसमें आयरन होवै सै……………………
रलदू - के आयरन आयरन लगा राखी सै, सासू जी तम नूं करो अक, एक सरिया (Iron Rod) ले कै मेरे हलक महै (गले में) घुसेड दो

2 comments:

  1. वाह असली खांटी माल घाल दिया आज तो रल्दू आला.:)

    रामराम.

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