08 July 2010

आशिकी म्है तेज घनी छोरां सै भी छोरी सैं

कल मैट्रो से कहीं जाना था। रास्ते में एक लडकी को देखा। नीचे जींस और ऊपर केवल आंखें ही नजर आ रही थी, सॉरी मेरा मतलब है, उसने दुपट्टे को इस तरह से लपेटा हुआ था कि केवल आंखें ही दिख रही थी। एकदम बुर्कापोश टाईप। मैट्रो की सीढियां उतरते-2 उसका दुपट्टा तह होकर हैण्डबैग में आराम करने लगा और एलीवेटर उतरते हुये उसका हाथ एक लडके के हाथ में था। यह देखते ही मुझे एक हरियाणवी गाना (रागणी)  याद आ गया।
लडकों के मुकाबले लडकियां आज हर क्षेत्र में आगे निकलती जा रही हैं। प्यार, इश्क, मोहब्बत इस क्षेत्र में भी लडकियां लडकों से आगे निकल रही हैं। बता रही हैं हरियाणा की नवोदित कलाकार अनु कादयान अपने ही अन्दाज में। अपनी आवाज और कला की बदौलत अनु कादयान ने बहुत कम समय में, छोटी उम्र में ही बडी तेजी से प्रसिद्धि पाई है। तो सुनिये
आशिकी म्है तेज घनी छोरां सै भी छोरी सैं
शशि, सोहनी, शीरी, लैला, हीर झूठी होरी सैं

8 comments:

  1. भाई जमा ही टांका फ़िट सै।

    राम राम

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  2. भाई जी यह तो चाला ही पाट गया,हमारे जमाने मै तो १०० मै से एक दो ही ऎसी थी, ओर अब... राम राम

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  3. डाउनलोडिंग चल रही है, अभी सुनता हूं।

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  4. नये ज़माना का की हवा चारू और ही बह री से |

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